Top Rated Films
Jagran's Film Reviews
-
बाउजी के किरदार को संजय मिश्रा ने इतना सहज और आत्मीय कर दिया है कि किरदार और कलाकार एकमेक हो गए हैं। हिंदी फिल्मों में सालों बाद ऐसा स्वाभाविक अभिनय दिखाया है। बाउजी के चलने, उठने, बैठने, रूठने और मनाने में मध्यवर्गीय सरलता है। …फिल्म में गीतों के बोल पर ध्यान दें तो कहानी गहराई से उद्घाटित होती है। वरुण ग्रोवर ने ‘आंखों देखी’ की प्रस्तुति की संगत में गीतों को फिल्मी नहीं होने दिया है। वे शब्दों में नई इमेज गढ़ते हैं।